प्रताप का चौपर कर रहा टिकट के लिए रेकी?  सेखड़ी के ड्रोन की चोपर पर तीखी नजर?
👉प्रताप का चौपर कर रहा टिकट के लिए रेकी?
👉सेखड़ी के ड्रोन की चोपर पर तीखी नजर?
👉बटाला टिकट, दोनों के लिए दिल्ली अभी दूर?
👉अभी दोनों नेता जिला बनवाएं और विकास करवाएं।
👉मैं लिखना चाहता हूं, बटाला के दर्द गरीबों का...........
👉क्योंकि बटाला बहुत पिछड़ा है।

बटाला-चंडीगढ़, विश्व टी.वी न्यूज (सैंडी गिल, अभितेज सिंह गिल): मैं लिखना चाहता हूं, बटाला के दर्द गरीबों का, प्रताप-सेखड़ी जी,कोई मिटा नहीं सकता, आपके लेख नसीबों का। इसलिए भगवान ने बटाला की टिकट जिसके नसीब में लिखी होगी, हाईकमांड से उसके नाम पर मेाहर लगवा देंगे।

प्रताप का चौपर टिकट के लिए कर रहा रेकी- अपने तीन दिनों के बटाला दौरे दौरान प्रताप सिंह बाजवा ने राजनैतिक अकल से यह तो कह दिया कि मेरा चौपर (हैलीकाप्टर) जिले के चक्कर लगा रहा हैऔर वो बताएगा चुनाव कहाँ से लड़ू, लेकिन बार-बार पूछने पर भी बटाला का स्पष्ट नाम अब तक क्यूं नही ले रहे। बाजवा जी लोग बच्चे थोड़ी ना हैं, कि आप लंच, डीनर और मीटिंगे बटाला में करें और रेकी पूरे जिला की, जनाब, यह किसी के गले नही उतर रहा। 

सेखड़ी के ड्रोन की चौपर पर तीखी नजर-उधर बाजवा के चौपर वाले दिए बयान के बाद चर्चा उठी है, कि बाजवा जी आपके चौपर पर तीखी नजर रखने के लिए सेखड़ी साहिब का ड्रोन भी पूरी तरह से सक्रिय है और आपका चौपर कहां-कहां, क्या-क्या कर रहा है, सेखड़ी का ड्रोन सब देख रहा है। 

बटाला टिकट के लिए दोनों के लिए दिल्ली अभी दूर-उधर जानकार मानते हैं कि दोनों पक्ष जितने मर्जी दावे कर लें, लेकिन सत्य तो यह है कि जब तक दिल्ली से कांग्रेस की आखिरी लिस्ट नहीं आती, तब तक कुछ भी नहीं कहा जा सकता कि बाजी कौन मार ले जाएगा। इसलिए अभी दोनों नेता जिला बनवाएं और विकास करवाएं।

प्रताप जी, सेखड़ी जी बटाला बहुत पिछड़ा है- जी हाँ, सरहद की गोद में बसे बटाला शहर को न जाने किस अभागे की नजर लगी, पहले इसको आंतकवाद ने 20 वर्ष पीछे धकेल दिया और फिर यहाँ की सनयत ऐसी मुँह के बल गिरी कि सही-माइनों में आज तक उठ नहीं पाई। एक शहर कितने कस्बे और 512 गाँव, ना कोई बड़ा अस्पताल, न मैडीकल कालेज, न इंजनीरिंग कालेज, न बड़ी फैक्ट्री और अधूरीे बुनियादी सुविधाएं, यह है बटाले का असली सच, प्रताप जी, सेखड़ी जी, जो शहर ऐसी अहम जरूरतो को तरस रहा हो, अगर आप वहां से चुनाव लडऩा और जीतना चाहते है, तो फिर मौका है इस पिछड़े शहर को आला दर्जे का शहर बना दो, क्योंकि बागियों के कारण ही सही, लेकिन जितना कैप्टन साहिब अब बटाला पर बेहरबान है, शायद आगे चलके कोई भी मुख्यमन्त्री किसी एक शहर को इतनी अहमीयत न दे पाए।